जानिए क्या है ‘आर्थिक मैपिंग’? जिसपर राहुल गांधी ने किया बड़ा एलान 

राहुल गांधी ने बताया है कि आर्थिक मैपिंग के जरिए आरक्षण की 50% की सीमा को खत्म कर दिया जाएगा और इसके ज़रिए ही उचित आरक्षण हक और हिस्सेदारी मिल पाएगी।

लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी कड़ी तैयारी कर रहे हैं जिसमें वह लगातार जनता के समक्ष अपने वादों को पूर्ण करने की पुष्टि कर  रहे हैं। फिर चाहे बात हो किसानों को एमएसपी दिलाने की या फिर जाति जनगणना करवाने की। दोनों ही ओर कांग्रेस ने अपनी गारंटी दी है कि अगर वह सत्ता में आती है तो वह इन कार्यों को ज़रूर पूरा करवाएगी। लेकिन इस बीच शनिवार 9 मार्च के  दिन  कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जनता से वादा किया है कि यदि लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी सत्ता में आती है तो वह जाति जनगणना के साथ-साथ आर्थिक मैपिंग भी करवानएंगे। यह सुनकर शायद आपकी मन में कई सवाल उठ रहे होंगे कि आखिरकार यह है क्या और जाति जनगणना के साथ इसकी क्या जरूरत है ? तो घबराएं नहीं आज हम आपके सभी सवालों का जवाब देने वाले हैं।

राहुल गांधी ने दिया जाति-जनगणना को लेकर बड़ा बयान 

राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के ज़रिए कहा है गरीब कौन है कितने हैं और किस स्थिति में है क्या इन सभी की गिनती जरूरी नहीं? उन्होंने अपनी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि बिहार में जाति जनगणना के बाद यह पता चला कि वहां गरीब आबादी के 88% लोग दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय में से हैं। उन्होंने बताया कि बिहार के यह आंकड़े पूरे देश के लिए एक छोटी सी झलक है। राहुल गांधी ने बताया है कि आर्थिक मैपिंग के जरिए आरक्षण की 50% की सीमा को खत्म कर दिया जाएगा और इसके ज़रिए ही उचित आरक्षण हक और हिस्सेदारी मिल पाएगी।

आर्थिक मैपिंग से क्या होगा ?

राहुल गांधी का कहना है की “हमें इस बात का अंदाजा भी नहीं है कि देश की गरीब आबादी किस हाल में जी रही है” उन्होंने कहा कि इसी कारण हम यह दो ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहे हैं और जातिगत गिनती के साथ-साथ आर्थिक मैपिंग भी करवाने वाले हैं।  जिसके चलते देश में 50% की आरक्षण सीमा को हम उखाड़ फेंक देंगे। राहुल गांधी ने कहा है कि उनका यह कदम देश का एक्स-रे करने जैसा है और उन्होंने जाति की गणना को हक भी बताया है।

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