जिंदगी में कभी हार ना मानने वाले मुख्तार अंसारी आखिरकार जिंदगी और मौत की जंग में हार ही गए। मुख्तार अंसारी ने अपने एक ही जीवन में कई किरदारों को निभाया फिर चाहे वह विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करना हो या फिर एक ही जीवन में दो बार उम्र कैद की सजा प्राप्त करना हो। लेकिन 28 मार्च के दिन मुख्तार अंसारी की मौत के साथ ही उसके सभी किरदारों का अंत हो गया। वैसे तो मुख्तार अंसारी को हराना काफी मुश्किल था। मुख्तार अंसारी से लेकर उसके परिवार तक सभी राजनीतिक सदस्य रहे हैं और उनके भाई इस वक्त गाजीपुर से सांसद भी है जी हां हम बात कर रहे हैं अफजाल अंसारी की। आपको बता दे कि मुख्तार अंसारी को पहली बार बहुजन समाज पार्टी की तरफ से विधानसभा का टिकट मिला और उन्होंने चुनाव भी जीता जिसके बाद पांच बार यह जीत का सिलसिला जारी रहा वही दो बार मुख्तार अंसारी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव पर उतरे और जीत भी हासिल की। हालांकि आपराधिक मामले आने के बाद साल 2010 में बहुजन समाज पार्टी ने उन्हें अपनी पार्टी से निकाल दिया। लेकिन इसके बाद मुख्तार अंसारी ने अपने भाइयों के साथ मिलकर कौमी एकता दल का गठन किया। साथ ही साल 2012 में विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी ने मऊ सीट से बड़ी जीत हासिल की।
मुख्तार अंसारी पर करीबन 65 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे खासतौर पर मन्ना सिंह वह गवाह हत्याकांड सहित कई अन्य मामले में उनकी एमपी एमएलए कोर्ट में पेशी चल रही थे। लेकिन इन पैसों के बावजूद भी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2017 में मुख्तार अंसारी ने बड़ी जीत हासिल कर राजनीतिक कुर्सी अपने नाम की। जी हां मुख्तार अंसारी ने बीजेपी के सहयोगी दल के प्रत्याशी महेंद्र राजभर को 7464 वोटो से भारी जीत हासिल कर करारी शिकस्त दी थी।