रायबरेली और कैसरगंज सीट से सस्पेंस हुआ खत्म, भाजपा ने प्रत्याशियों के नाम किए घोषित

यूपी की दो लोकसभा सीट जिनको लेकर पुरे देश में बज बना हुआ हैं। जी हाँ हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट और रायबरेली सीट के बारे में। इन दोनों ही सीटों पर अब तक ना ही कांग्रेस और ना ही भाजपा ने किसी भी उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा हैं। लेकिन भाजपा की तरफ से ये इंतज़ार खत्म हो चूका है।

यूपी की दो लोकसभा सीट जिनको लेकर पुरे देश में बज बना हुआ हैं। जी हाँ हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट और रायबरेली सीट के बारे में। इन दोनों ही सीटों पर अब तक ना ही कांग्रेस और ना ही भाजपा ने किसी भी उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा हैं। लेकिन भाजपा की तरफ से ये इंतज़ार खत्म हो चूका है। भाजपा ने दोनों ही सीटों से अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी हैं। तो दोनों सीट से भाजपा ने किस उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा है चलिए आपको बताते हैं।

रायबरेली से लड़ेंगे दिनेश प्रताप सिंह

भाजपा ने रायबरेली सीट से एक बार फिर से दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा हैं। रायबरेली से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि देश के पीएम, देश ग्रहमंत्री, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और रायबरेली के सभी भाजपा कार्यकर्ताओ का धन्यवाद करना चाहता हूँ। मैं विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि मैं कसौटी पर खड़ा उतरूंगा और कमल खिलाउंगा। मैं गाँधी परिवार में जन्म नहीं लिया हूँ, मैंने चांदी के चम्मच से सोने की थाली में खाना नहीं खाया है बल्कि मैं गांव से जुड़ा आदमी हूँ। मेरी तरफ से रायबरेली से नकली गांधियो की विदाई तय है, राहुल गाँधी हो या प्रियंका गाँधी कोई भी यहाँ आएं जीतेगा कोई भी नहीं।” बता दें कि 2019 में बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह को ही रायबरेली सीट से टिकट दिया था लेकिन दिनेश सोनिया गाँधी के आगे जीत नहीं पाए।

केसरगंज से करण भूषण

कैसरगंज सीट से भी भाजपा ने अब अपना उम्मीदवार को लेकर सस्पेंस खत्म कर दिया हैं। इस सीट से मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि उनके बेटे करण भूषण पर भरोसा जता कर उन्हें टिकट दिया गया हैं। कैसरगंज सीट पर बृजभूषण की पकड़ मज़बूत है। ऐसे में ये पहले से कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी बृजभूषण के किसी परिजन को ही टिकट देगी। लेकिन बृजभूषण खुद भी इस बार चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन महिला पहलवानों द्वारा गंभीर आरोप लगाए जाने से उनकी उम्मीदवारी खतरे में पड़ गई और अब उनके बेटे करण भूषण को ये जिम्मेदारी सोपी गई हैं।

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