जुर्म के इस रास्ते में हमेशा अंत बुरा ही होता है फिर चाहे जेल की हवा खानी हो या फिर फांसी के तख्ते लटकाना हो। सदियों से यदि किसी को मौत की सज़ा सुनाई गई तो उसे फांसी दी गई है। पूरी दुनिया में फांसी की सज़ा सबसे कठोर सज़ा मानी गई है और मौत की सज़ा देने के लिए पूरी दुनिया में ज्यादातर फांसी से ही लटकाया जाता है। भारत में फांसी की सज़ा सुनाए जाने वाले कई मामले सामने आते हैं। लेकिन आंकड़ों की माने तो फांसी की सज़ा आज तक बेहद कम सफल ही हो पाई है। भारत में आज़ादी के बाद सिर्फ 57 लोगों को ही फांसी दी गई है, वही इन आंकड़ों पर भी अभी तक कोई भी सरकारी मुहर नहीं लगाई गई। मौत की सज़ा में महिलाओं को भी फांसी दी जा चुकी है। जहां स्वतंत्र भारत में पहली बार रतन बाई जैन को 3 जनवरी 1955 में दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी, जिसने तीन लड़कियों की हत्या की थी। और आखरी बार निर्भया केस के दौरान आरोपियों को साल 2020 में फांसी के तख्ते लटकाया गया था। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार फांसी की सज़ा दी कैसे जाती है? तो लिए हम आपके सवालों पर से पर्दा उठाएं।
सुबह 4 बजे जगा दिया जाता है आरोपियों को
फांसी एकमात्र ही ऐसी सज़ा है जिसमें व्यक्ति की तत्काल मृत्यु हो जाती है। जब भी किसी व्यक्ति को फांसी की सज़ा दी जाती है तब उसके लिए एक दिन को निर्धारित किया जाता है। और फिर जिस दिन उनके मौत की तारीख होती है उस दिन उसके मुंह को कपड़े से ढक दिया जाता है। और फांसी की जगह पर उसको लेजाया जाता है। आरोपी को मौत की सज़ा देने का पूरा कार्य जल्लाद करता है। फांसी की सज़ा को हमेशा सूर्य उदय से पहले ही दिया जाता है ताकि सूर्य उदय के बाद जेल के कामकाज में कोई भी रुकावट ना हो। मौत की सज़ा वाले दिन आरोपियों को सुबह 4 बजे ही जगा दिया जाता है।
फांसी देने से पहले आरोपी के कान में ये बोलता है जल्लाद
फांसी की सज़ा जब भी किसी व्यक्ति को दी जाती है । तब उससे पहले कई प्रक्रियाओं को संपन्न किया जाता है। बता दें कि जब व्यक्ति को फांसी होने वाली होती है तो जल्लाद उसके कान में जाकर यह बोलता है कि “मुझे माफ कर दो”। यदि व्यक्ति हिंदू होता है तो “उसे राम-राम कहकर और यदि व्यक्ति मुस्लिम होता है तो उसे सलाम बोलकर कहता है कि हम क्या कर सकते हैं हम तो हैं हुकुम के गुलाम।” और फिर चेतावनी मिलने पर जल्लाद रस्सी खींच लेता है जिसके कुछ सेकंड बाद ही व्यक्ति की मौत हो जाती है। लेकिन इसके बावजूद आरोपी को तख्ते पर आधे घंटे तक लटकाया जाता है। फिर कानूनी प्रक्रिया होने के बाद उसे उसके परिवार के हवाले कर दिया जाता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यदि इस दौरान किसी प्रेग्नेंट महिला को फांसी के तख्ते लटकाया जानें वाला हो तो पूरी प्रक्रिया को उसी वक्त रोक दिया जाता है। यदि लटकाए जानें से पहले पता चलता है कि अपराधी महिला गर्भवती है तो भारतीय कानून के अनुसार महिला की फांसी उम्र कैद में तब्दील हो जाती है।
CONTENT: NIKITA MISHRA