चीन हर साल अपने शहीदों की याद में किंग मिंग फेस्टिवल को आयोजित करता है। जहां इस फेस्टिवल में वो शहीदों के बीच भारत के डॉक्टर को भी याद करता है।
भारत के कई ऐसे पड़ोसी देश हैं जो हमेशा से ही भारत की सफलता को देखकर नराज़ हुए हैं। फिर चाहे बात पाकिस्तान कि हो या फिर चीन की । ये दोनों ही भारत के ऐसे कट्टर दुश्मन हैं जो आज तक भारत का किसी भी रूप में मददगार नहीं बना । इन दोनों ही देशों के ज़रिए कई बार भारत के खिलाफ रणनीति बनाई जा चुकी है ।इन दोनों देशों से दोस्ती की आशा रखना समय व्यर्थ करने जैसा है । लेकिन एक ऐसी बात भी है जिसके कारण चीन सालों से भारत के सामने झुकता आया है । जी हां चीन भारत के उस महान डॉक्टर के कर्ज़ तले दबा हुआ है जिसको चुकाना उसके बस की बात ही नहीं है । जी हां हम बात कर रहें हैं डॉक्टर द्वारकानाथ शांताराम कोटनीस की जो भारत के ऐसे इकलौते डॉक्टर है जिनके सामने चीन के राष्ट्रपति भी झुकते हैं। भारत में भले ही डॉक्टर द्वारकानाथ को कुछ ही लोग जानते होंगे लेकिन चीन में डॉक्टर द्वारकानाथ को भगवान की तरह पूजा जाता है।
भारत के इस डॉक्टर को चीन में किया जाता है याद
दरअसल, चीन हर साल अपने शहीदों की याद में किंग मिंग फेस्टिवल को आयोजित करता है। और इस फेस्टिवल में शहीदों के बीच डॉक्टर कोटनीस को भी याद किया जाता है। जिसमें एक कनाडा के डॉक्टर नॉर्मन बैथुने और दूसरे डॉक्टर भारत के द्वारकानाथ भी हैं जिन्हें हर साल इस मौके पर चीन के अंदर श्रद्धांजलि दी जाती है। भारत और चीन के तनावी रिश्तो के बीच चीन हमेशा ही भारतीय डॉक्टर द्वारकानाथ के नाम पर पिघल जाता है।द्वितीय विश्व युद्ध से पहले जब भारतीय डॉक्टर द्वारकानाथ चीन की मदद करने गए थे तब से लेकर अब तक उनसे जुड़े सभी स्मृतियों को आज भी ड्रैगन ने संजो कर रखे हैं।
क्या किया था डॉक्टर ने ?
भारतीय डॉक्टर द्वारकानाथ के निधन पर चीन के सबसे बड़े नेता माओ से -तुंग ने शौक जताया था। उन्होनें कहा था कि चीन ने एक दोस्त को खो दिया। हुआ कुछ यू की सन 1938 में जब चीन और जापान के बीच आपसे युद्ध हो रहा था तब जापान ने चीन के बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया उसे समय के आर्थिक और दुनिया के सबसे बड़ी ताकतों में से एक जापान से निपटना चीन के लिए काफी मुश्किल हो रहा था। जिसके लिए उसने भारत से मदद मांगी थी। सचिन के कम्युनिस्ट जनरल झू डे ने कांग्रेस नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू से आग्रह किया था की वह भारत के कुछ डॉक्टरों को चीन भेज दे ताकि युद्ध में हुए घायलों का सही ढंग से इलाज किया जा सके। 1938 में कांग्रेस अध्यक्ष नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर चीन के मदद के लिए अपील की थी। और उसे वक्त भारत खुद स्वतंत्रता को लेकर आंदोलन कर रहा था। आजादी की लड़ाई के बीच भारत ने अपने पांच डॉक्टर को चीन जाने के लिए तैयार किया जिसमें से डॉक्टर का नाम द्वारकानाथ कोटनीस था । जहां कोटनीस ने चीन में मौजूद सैकड़ों घायलों की जान बचाई थी। और एक समय तो ऐसा था जहां डॉकोटनीस ने पूरे 72 घंटे बिना रुके घायलों का ऑपरेशन किया था।
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