दिल्ली को पानी देने के लिए तैयार है हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिख सुक्खू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के दूसरे पीएम है जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं। वहीँ पीएम मोदी से पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू थे जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने थे। नरेंद्र मोदी के पीएम बनने पर देश का हर नागरिक भी खुश है और उन्हें बधाइयाँ दे रहा हैं वहीँ अब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिख सुक्खू ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पीएम बनने की शुभकामनाएं दी हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के दूसरे पीएम है जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं। वहीँ पीएम मोदी से पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू थे जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने थे। नरेंद्र मोदी के पीएम बनने पर देश का हर नागरिक भी खुश है और उन्हें बधाइयाँ दे रहा हैं वहीँ अब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिख सुक्खू ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पीएम बनने की शुभकामनाएं दी हैं। हिमाचल प्रदेश के सीएम ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि,” हिमाचल प्रदेश एक छोटा सा राज्य हैं। यहाँ ज्यादा संसाधन नहीं हैं और हम संसाधनों में मदद चाहते हैं। हिमाचल को आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए। सीएम सुक्खू ने कहा कि जब प्रधानमंत्री को समय मिलेगा मैं उनसे मिलकर वित्तीय मादा का अनुरोध करूँगा।

रियासी में हुए हमले पर बोले सीएम सुक्खू

जम्मू के रियासी में हुए हमले को लेकर भी सीएम सुक्खू ने अपनी प्रतिक्रिया दी हैं। उन्होंने कहा कि,” जो अटैक हुआ है वो अच्छी बात नहीं हैं। घटना में नौ लोगों की मौत हुई हैं उसपर मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ। इस प्रकार के अटैक पर सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

हिमाचल को पानी देने के लिए तैयार हैं- सुक्खू

मीडियाकर्मियों ने सीएम सुक्खू से जब यह पूछा कि दिल्ली में पानी की किल्लत चल रही है और वो हरियाणा और हिमाचल से मदद मांग रहे है उस पर आप क्या कहना चाहेंगे ? इस पर सीएम सुक्खू ने जवाब देते हुए कहा कि हिमाचल पानी देने के लिए तैयार हैं। हमे कोई ऑब्जेक्शन नहीं हैं।

हिमाचल में आगमी विधानसभा उपचुनाव को लेकर दिया बयान

आपको बता दें कि इससे पहले हिमाचल में आगमी विधानसभा उपचुनाव को लेकर सीएम सुक्खू ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि निर्दलीय प्रत्याशी किसी भी पार्टी को समर्थन दे सकते हैं उन निर्दलीय प्रत्याशियों ने इस्तीफा दिया हैं। उन्हें इस्तीफा देने की ज़रूरत क्यों पड़ी। अब वो दोबारा साढ़े तीन साल के लिए चुनाव लड़ेंगे या नहीं इस पर बीजेपी क्या फैसला लेती हैं ये उनका आतंरिक मामला हैं लेकिन इसके पीछे एक चीज तो स्पष्ट है कि कही न कही इन निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपनी विधायिकी को बेचा हैं।

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