भाजपा ने जारी की अपनी 13वीं लिस्ट, नारायण राणे को मिली टिकट

भारतीय जनता पार्टी ने पहले चरण की वोटिंग से एक दिन पहले अपनी 13 वीं कैंडिडेट की लिस्ट जारी कर दी हैं। इस लिस्ट में भाजपा ने महाराष्ट्र की एक सीट पर अपने कैंडिडेट का नाम उजागर किया हैं। भाजपा द्वारा जारी की गई इस लिस्ट में रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट से उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को उतारा हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने पहले चरण की वोटिंग से एक दिन पहले अपनी 13 वीं कैंडिडेट की लिस्ट जारी कर दी हैं। इस लिस्ट में भाजपा ने महाराष्ट्र की एक सीट पर अपने कैंडिडेट का नाम उजागर किया हैं। भाजपा द्वारा जारी की गई इस लिस्ट में रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट से उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को उतारा हैं। रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट से नारायण राणे का मुकाबला मौजूदा सांसद विनायक राऊत से होगा। विनायक राऊत को शिवसेना ने इस सीट पर टिकट दिया हैं। दोनों की बीच ये टक्कर देखना वाकई दिलचस्प होगा क्योंकि इससे पहले आज तक भाजपा इस सीट पर नहीं लड़ी इसलिए इस बार का महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प होगा।

नारायण राणे का सियासी सफर

नारायण राणे जिन्होंने महज़ 16 साल की उम्र में ही राजनीति में अपना कदम रख दिया था। साल 1968 में नारायण युवाओं को शिवसेना के साथ जोड़ने में जुट गए। इस दौरान उन्होंने शिवसेना पार्टी और युवाओं के बीच खूब लोकप्रियता भी हासिल की। युवाओं के बीच नारायण राणे की ख्याति को देखकर शिवसेना प्रमुख बाबा साहेब ठाकरे भी काफी खुश हुए थे जिसके बाद उन्हें चेंबूर में शिवसेना का शाखा प्रमुख बना दिया गया इसके बाद उन्होंने और भी मुकाम हासिल किए लेकिन साल 1999 में जब वह मुख्यमंत्री बने तो उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। पर ये ख़ुशी लम्बे समय के लिए नहीं थी क्योंकि जब उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया तो नारायण राणे के सुरों में बगावत हावी होने लगी जिसके बाद राणे ने उद्धव की प्रशासनिक योग्यता और नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए। इन सब के बाद से नारायण और पार्टी के बीच बगावत छिड़ने लगी और फिर नारायण ने बड़ा कदम उठाया और 10 शिवसेना विधायकों के साथ शिवसेना पार्टी को छोड़ दिया। इसके बाद साल 2005 में नारायण ने कांग्रेस सरकार का हाथ थाम लिया लेकिन कुछ सालों बाद कांग्रेस को भी अलविदा कर के नारायण ने अपनी पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष बनाई और भाजपा के समर्थन के साथ राज्यसभा पहुंच गए और अंत में उन्होंने अक्तूबर 2019 में अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया।

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