9 अप्रैल से माता के नवरात्रों की शुरुआत हो चुकी है और हिन्दू धर्म में नवरात्रों को विशेष महत्व दिया जाता हैं। इस अवसर पर भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति का प्रदर्शन करते हैं, मंदिरो में भीड़ लगती है और धार्मिक आयोजन भी होते हैं। वैसे तो नवरात्रों को काफी शुभ माना जाता हैं लेकिन इस बार नवरात्रि पर खरमास का साया पड़ेगा जिससे नवरात्रि के शुरू के 5 दिन आप कोई भी शुभ कार्य नहीं कर सकते।
क्या है खरमास का साया ?
इस बार चैत्र नवरात्रि पर खरमास का साया पड़ने जा रहा है हालाँकि कि, खरमास की शुरुआत 14 मार्च से हुई थी जिसका समापन 13 अप्रैल को होगा। दरअसल, खरमास भारतीय पौराणिक ग्रंथो में उल्लेखित है और इसे आमतौर पर ज्योतिष और धार्मिक परम्पराओं में महत्व दिया जाता है। इसकी अवधि वर्ष के कुछ विशेष मासों में होती हैं जिसके तहत ये माना जाता है कि, शास्त्रों और विधियों का पालन करने से किए गए कार्य अशुभ माने जाते हैं। और यही कारण है की इस नवरात्रि शुरू के पांच दिन कोई भी मांगलिक और शुभ कार्य नहीं किए जा सकते परंतु ज्योतिष के अनुसार ईश्वर की आराधना और उपवास रखे जा सकते हैं।
खरमास में नहीं करने चाहिए ये कार्य
खरमास में कोई नया काम, विवाह, ग्रह प्रवेश, यात्रा, मकान का निर्माण और सम्पति का क्रय करना वर्जित माना जाता है हालाँकि प्रेम विवाह और स्वयंवर का मामला हो तो विवाह कराया जा सकता हैं। माना जाता है कि, खरमास के दौरान किए गए कार्यो का फल नकारात्मक होता है और अशुभ परिणाम भी मिल सकते हैं।
पूजन विधि
कलश स्थापना के लिए सबसे पहले उठकर स्नान करने के बाद साफ़ कपड़े पहनकर मंदिर की साफ़-सफाई करनी चाहिए। इसके बाद एक सफ़ेद या लाल कपड़ा बिछा कर उसमे चावल रखे और एक मिट्टी के पात्र में जो बो दे। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करे। कलश पर स्वस्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधे। कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखे। इसके बाद एक नारियल ले और उसपर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधे। इस नारियल को कलश के ऊपर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करे और इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करे। नवरात्रों में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही कलश स्थापित करे।
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