किन्नर मानव जिंदगी का वह रूप है जिन्हें समाज में उसे प्रकार का महत्व नहीं दिया गया जिस तरह एक नारी और पुरुष को दिया जाता है। किन्नर समाज हमेशा से ही नारी और पुरुष के जीवन से दूर ही रहा है। आम लोगों की जिंदगी में किन्नरों को तब याद किया जाता है जब उनके घरों में कोई खुशहाली आने वाली होती है।अन्यथा लोग उन्हें हमेशा ही एक अलग नज़रिए से ही देखते हैं। किन्नरों के जन्म से लेकर उनके मृत्यु तक उन्हें हमेशा ही समाज के ताने सुनने पड़ते हैं। उनके जन्म के वक्त भी यह पुराने ख्यालात वाले समाज उनको घर से निकाल देते हैं। और उनकी मृत्यु के वक्त यह किन्नर समाज उनको कुछ इस कदर अंतिम विदाई देता है जिसके बारे में सोचना ही डर को महसूस करने जैसा है। किन्नरों के मौत के बाद उनके साथ होने वाली घटनाओं को शायद ही आपने कभी देखा होगा। पर आज हम आपको बताएंगे कि आखिरकार कैसे उनके समाज के लोग ही उनकी अंतिम यात्रा के वक्त उनके शव पर चप्पल जूते से मारकर विदा करते हैं।
जूते चप्पलों से पीटते हैं किन्नर के शव को
जब भी किसी घर में किन्नर का जन्म होता है तो पूरे घर के लोग यही मानते हैं कि यह किसी अभिशाप से कम नहीं है। लेकिन जब किसी किन्नर की मौत होती है तब किन्नर समाज के लोग उनके शव को चप्पलों से पीटते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार ऐसा होता क्यों है? तोआपको बता दें की किन्नर समुदाय के लोग अपने जीवन को एक अभिशाप से कम नहीं मानते और यही कारण है कि उनके शव यात्रा के वक्त मृतक को जूते चप्पलों से पीट कर गालियां दी जाती है। इसकी एक बड़ी वजह तो यह भी है कि यदि किन्नर ने किसी प्रकार का कोई भी अपराध किया है तो उसके अंतिम विदाई के वक्त उसका प्रायश्चित हो जाए और अगला जन्म भी इंसान का ही मिले। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो किन्नर समुदाय में जब भी किसी की मौत होती है तो उसमें मौजूद पूरे व्यस्क किन्नर एक हफ्ते का व्रत करते हैं और मृतक व्यक्ति के लिए दुआएं मांगते हैं।
किन्नरों की दुआओं में होता है बहुत असर
सदियों से हम यही देखते आए हैं कि जब भी किसी के घर में कोई शादी या बच्चे की किलकारी सुनाई देती है तो घर में किन्नर उन्हें आशीर्वाद देने आते हैं। कहते हैं कि उनके पास एक आध्यात्मिक शक्ति होती है जिसके कारण इन्हें यह आभास हो जाता है कि उनकी मौत होने वाली है जिसके चलते यह खाना पीना बंद कर देते हैं और कहीं आना-जाना भी नहीं करते हैं। मान्यता तो यह भी है कि यदि कोई आम व्यक्ति मृत किन्नर के शरीर को देख ले तब उस मृतक का जन्म दोबारा किन्नर रूप में ही होता है और इसलिए उनकी शव यात्रा रात के वक्त निकाली जाती है। और शव यात्रा में कोई भी बाहरी व्यक्ति शामिल नहीं होता है।
CONTENT: NIKITA MISHRA