“मंज़िल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है,पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।” ये कथन बिल्कुल सटीक बैठता है राजस्थान के भरतपुर जिले में जन्में मुख्त्यार अहमद पर। जिनका जन्म साधारण मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ । इनके पिता दूध के व्यापारी और माँ गृहणी हैं। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में ही हुई और अपनी आगे की पढ़ाई के लिए इन्होंने शहर की ओर प्रस्थान किया। कुशल शिक्षकों का अभाव और लचर शिक्षा व्यवस्था के कारण इन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इन्होंने कभी हार नहीं मानी और बाद में इन्होंने CA की पढ़ाई दिल्ली से की।
पेशे से मुख्त्यार अहमद चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं।वो शिक्षा क्षेत्र में आ रही चुनौतियों और संघर्ष को बखूबी समझते हैं। जिसको मद्देनज़र रखते हुए इन्होंने शिक्षा क्षेत्र में पहल की और “मीर पब्लिक स्कूल“ नामक विद्यालय की स्थापना की। जहां हाई स्कूल तक के बच्चे कुशलतापूर्ण शिक्षा ग्रहण करते हैं। किंतु लचर शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करना और जन-जन तक शिक्षा को सुलभ करना इतना भी आसान नहीं होने वाला था इसलिए इन्होंने शिक्षा जगत में क्रांति लाने की उद्देश्य से राजनीति की ओर रुख़ किया।
कामां विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से 2023 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा और भाजपा कैंडिडेट नौक्षम चौधरी को कड़ी टक्कर दी। जीतने की कगार पर पंहुचे मुख्तियार अहमद का नाम कांग्रेस से भी ऊपर था। उन्हें उस विधानसभा सीट से करीबन 64740 वोट मिलें थे, तो वहीँ कांग्रेस सिर्फ 58130 वोटों तक ही सीमित रह गयी। मुख्त्यार अहमद पहले भी कांग्रेस मे ज़िला सचिव के पद पर रह चुके हैं और इनके योगदान को दृष्टिगत रखते हुए हाल ही में कांग्रेस पार्टी ने इनपर भरोसा जताते हुए पुनः इन्हें पार्टी में शामिल किया जिससे लोकसभा प्रत्याशी को मज़बूती मिल सके।