सड़क यह वह शब्द है जहां से हर उस घर का व्यक्ति गुज़रता है जिसे आज के ज़माने में हम अमीर या गरीब के रूप में जानते हैं। लेकिन इसी सड़क पर कई ऐसे लोग भी हैं जो अपने गरीबी से तंग आकर लोगों के सामने एक राहत की गुज़ारिश करते हैं। गरीबों को देखकर हम कई बार उन्हें पैसे दे देते हैं ताकि वह खुश होकर कुछ खा सके। सड़कों पर भिखारी का दिखाई देना आम बात है लेकिन कई दफा ये असल में भिखारी नहीं होते। ह्यूमन रैकेट के चंगुल में कई ऐसे बच्चे फंसकर आ जाते हैं जिन्हें ज़बरदस्ती भीख मंगवाया जाता है। हमारे देश में गरीबी का स्तर इतना बढ़ा हुआ है कि आपको हर दिन कोई-न-कोई ट्रैफिक सिग्नल पर और मंदिरों के सामने कुछ न कुछ मांगते हुए दिख जाएगा। हमारे देश की बात करें तो हमारे पूरे देश में आंकड़ों के अनुसार कुल मिलाकर 4,13,000 से भी ज्यादा लोग भीख मांगते हैं जिसमें 2 लाख से ज्यादा पुरुष और करीब 2 लाख महिलाएं भी शामिल है इसके साथ ही भीख मांगने वालों की लिस्ट में बच्चे भी शामिल है। हमारे देश में पश्चिम बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश में करीबन 65,000 से ज्यादा भिखारी मौजूद हैं।
कौन बनता है भिखारी?
एक व्यक्ति भिखारी कब बनता है ? जब उसके पास किसी भी प्रकार का कोई साधन और रोज़गार न हो। साथ ही वह किसी भी काम को करने में सक्षम न हो। तभी वह सड़कों पर और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाकर भीख मांगने का काम करते हैं। हमारे देश के लक्षद्वीप में ही सबसे कम भिखारी है यहां महज दो भिखारी ही भीख मांगते हैं। लेकिन हमारे देश से ही जुड़े पड़ोसी देश में कुछ ऐसी सुविधा उपलब्ध है जिसके कारण वहां एक भी भिखारी नहीं है। जी हां हम बात कर रहे हैं भूटान की, जहां एक भी व्यक्ति भिखारी नहीं है और ना ही बेघर है। आईए जानते हैं आखिरकार कैसे?
क्यों भूटान में नहीं है एक भिखारी?
भूटान भारत का पड़ोसी देश है। जिसकी आबादी मात्र 7,87,424 है। और यह देश एशिया का सबसे खुशहाल देश भी माना जाता है। 7 लाख की इस आबादी में एक भिखारी का ना होना काफी हैरान करने वाली बात है और इसका कारण है वहां की सरकार। जो उन्हें कुछ ऐसी सुविधाएं उपलब्ध करवाती है जिसके कारण वहां के आम व्यक्ति का जीवन भी खुशहाल तरीके से गुज़रता है। भूटान इकलौता ऐसा देश है जहां नागरिकों का इलाज बिल्कुल मुफ्त है। यहां की सरकार उनके सभी दवाइयां का खर्च उठाती है। दरअसल, भूटान के अंदर एक खुशी मंत्रालय है जो सकल घरेलू खुशी को मापता है। भूटान के लोगों के बीच मानसिक मूल्य का संतुलन बने रहता है और यही बड़ा कारण है कि यहां भिखारी है ही नहीं ।
CONTENT: NIKITA MISHRA