पप्पू यादव की नैया कैसे होगी पार ? न लालू ने दिया साथ न कांग्रेस ने थामा हाथ

पप्पू यादव न इधर के रहे न उधर के ! न लालू यादव ने साथ दिया न कांग्रेस ने। इसके बावजूद भी पूर्णिया सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की ज़िद ने पप्पू यादव को अकेला कर दिया।

पप्पू यादव न इधर के रहे न उधर के ! न लालू यादव ने साथ दिया न कांग्रेस ने। इसके बावजूद भी पूर्णिया सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की ज़िद ने पप्पू यादव को अकेला कर दिया। पप्पू यादव की कांग्रेस के सामने विनती कोई ख़ास काम नहीं आयी। पूर्णिया सीट को लेकर पप्पू यादव ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। जिसके बाद कांग्रेस उनसे काफी नाराज़ है, इसके अलावा कांग्रेस पार्टी की तरफ से पप्पू यादव को चेतावनी भी दी गई है जिसमें उन्होंने कहा है कि यादव को अपना नाम नामांकन से वापस ले लेना चाहिए।

कांग्रेस पार्टी से नकारे जानें के बाद पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो चुके हैं। हालांकि, बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने पप्पू यादव को इस सीट से अपना नाम वापस लेने की सलाह दी है। देखा जाए तो दोनों ही ओर से पप्पू यादव को निराशा ही देखने को मिली है। पप्पू यादव का पूर्णिया से चुनाव लड़ने का सपना अब पूरा होगा भी या नहीं ये तो उनके हाथ में ही है। हालांकि सबको इस बात इंतज़ार है कि क्या पप्पू यादव अपना नामांकन से नाम वापिस लेंगे भी या नहीं ?

इससे पहले पप्पू यादव ने लालू यादव से विनती की थी कि वह पूर्णिया सीट को कांग्रेस के लिए छोड़ दे। लेकिन इस बात पर लालू यादव की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आयी। जिसके बाद ही उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ही फैसला लिया। इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाए तो पप्पू यादव उर्फ़ राजेश रंजन का राजनितिक करियर काफी ख़ास रहा है। वह चार बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं जनता के विश्वास को कायम करने के लिए राजेश रंजन चुनावी अखाड़ा नहीं छोड़ेंगे, चाहे उन्हें अकेले ही चुनाव क्यों न लड़ना पड़े।

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