सालों से एक ही दाम में बिक रही Parle-G बिस्किट, कंपनी कैसे करती है कमाई?

PARLE G
Parle-G जी एक मात्र ऐसा बिस्किट है जो आज तक एक ही दाम में बिक रहा है और यह भारत का सबसे सस्ता और स्वादिष्ट बिस्किट माना गया है। लेकिन......

बचपन से लेकर अब तक हमने कई प्रकार के बिस्किट्स खाए होंगे लेकिन हमें हमेशा एक ही नाम याद रहता है और वह है पारले-जी। सालों से इंडिया में इनकम कर रही है कंपनी अभी तक अपने प्रोडक्ट पारले-जी को लेकर काफी प्रचलित है। सुबह की चाय हो या शाम का नाश्ता। पारले-जी बिस्कुट हमारी जिंदगी में इस तरह काम करता है जैसे दूध में शक्कर। 6 माह के नवजात शिशु को भी दूध के साथ पारले-जी का बिस्किट खिलाया जाता है क्योंकि उसके अंदर भरपूर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन और अन्य जरूरी न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं जो व्यक्ति को काफी ऊर्जा प्रदान करती है। Parle-G जी एक मात्र ऐसा बिस्किट है जो आज तक एक ही दाम में बिक रहा है और यह भारत का सबसे सस्ता और स्वादिष्ट बिस्किट माना गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं की सालों से पारले जी का दाम एक ही है फिर भी उनकी कंपनी कमाई कैसे करती है?

25 साल से नहीं बढ़ा Parle-G का दाम 

पारले-जी के साइज में भले ही बदलाव हुआ हो लेकिन इसका स्वाद वही है जैसा साल पहले हुआ करता था। महंगाई के दौर में आज एक रुपए का सामान भी ₹10 में मिलता है तो वहीं पारले-जी एक ही दाम में बिक रही है। बिना मुनाफे के यह कैसे काम कर रही है?  आजकल तो लोग मुनाफे के लिए दूध और धनिया का दाम भी एक, 2 रुपए  बढ़ा देते हैं लेकिन 25 साल हो गए पारले जी आज तक एक ही दाम में बिक रही है।

82 साल पुरानी है Parle-G कंपनी

पारले-जी का दाम साल 1994 में आखिरी बार बढ़ा था, पारले-जी की कंपनी करीबन 82 साल पुरानी है। कोरोना महामारी के दौरान भी पारले जी बिस्किट की सबसे ज्यादा बिक्री की गई थी फिर साल 2021 में इसके दाम पर ₹1 की बढ़ोतरी हुई तब जाकर आज पारले-जी पांच रुपए में बिकता है। लॉकडाउन के दौरान पारले-जी कंपनी का कुल मार्केट शेयर 5% तक बढ़ा था जिसमें कंपनी को पारले-जी से करीबन 80 से 90% ग्रोथ हुई थी।

ऐसे कमाती है कंपनी मुनाफा 

पारले-जी कंपनी ने मुनाफा कमाने का अपना एक अलग ही तरीका ढूंढ लिया है जी हां यह ऐसा तरीका है जिससे लोगों को भी कोई परेशानी नहीं होती। और उसी दाम लोग पारले-जी के स्वाद का मजा उठा पाते हैं। पारले-जी कंपनी अपने दाम को बरकरार रखने के लिए बिस्कुट के कीमत को बढ़ाने के बजाय उसके साइज़ को कम करती है। अर्थात उन्होंने रेट बढ़ाने के अलावा बिस्किट का वजन कम कर दिया है। जहां सालों पहले बिस्किट के पैकेट का वजन 100 ग्राम होता था तो वहीं आज 50g हो चुका है।

CONTENT: NIKITA MISHRA

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