राजधानी दिल्ली जो पुरे देश में घूमने वाली जगहों की लिस्ट नंबर वन पर आती है। यहां विदेशों से भी कई लोग घूमने आते हैं। इतना ही नहीं बल्कि राजधानी दिल्ली में इतने इमारत मौजूद है जिनकी ख़ूबसूरती के आगे सबकुछ फीका पड़ जाता है। फिर चाहे वो लाल किला हो या फिर कुतुबमीनार। क़ुतुब मीनार की खूबसूरती भी सभी लोगों को आश्चर्यचकित कर देती है। लेकिन इसकी खूबसूरती के पीछे कई ऐसे राज़ दफ़्न है जिनके बारे में सोचने भर से आपकी रूह कांप सकती है।
कुतुबमीनार का ये राज़ कर देगा आपको हैरान
जब भी आप कुतुबमीनार जाते हैं तो आपने मीनार के ऊपर जाने के बारे में ज़रूर ही सोचा होगा, या फिर कभी आपने उसके अंदर जाने की कोशिश भी की होगी। लेकिन सिक्योरिटी गार्ड आपको अंदर जाने से मना करते हैं। इतना ही नहीं कुतुबमीनार के ऊपर जाने वाले रास्ते में एक दरवाज़ा भी है जिसे सालों से बंद कर रखा है। लेकिन क्या आप इस बंद दरवाज़े के पीछे का सच जानते हैं ? क्या आपके मन में ये सवाल आता है की इसके पीछे का राज़ आखिरकार है क्या और इसे बंद क्यों रखा गया है ? चलिए आज इस राज़ पर से पर्दा उठा ही लेते हैं।
मीनार में हुई थी 45 लोगों की मौत
दरअसल, कुतुबमीनार का ये दरवाजा 43 साल पहले हुई एक खौफनाक घटना के कारण बंद कर दिया गाया है। कई सालों पहले पर्यटकों को इसके अंदर जाने की इजाजत थी। लेकिन 4 दिसंबर 1981 शुक्रवार के दिन एक ऐसा हादसा हुआ जिसके कारण दरवाजे को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। बता दें कि हमेशा से ही शुक्रवार के दिन कुतुब मीनार में काफी भीड़ देखी गई है लेकिन सुबह 11:30 बजे एक ऐसा हादसा हुआ जिसके कारण वहां मौजूद सभी लोग चीखने लगे। दरअसल, उस दिन कुतुबमीनार के अंदर काफी भीड़ थी और इस मीनार में लगभग 500 लोग मौजूद थे जहां अचानक से मीनार की लाइट चली गई, जिसके कारण मीनार के अंदर मौजूद लोग काफी घबरा गए थे । इतना ही नहीं इस भीड़ में मौजूद किसी व्यक्ति ने यह अफवाह भी फैला दी थी की मीनार गिर रहा है। जिसके कारण पूरे मीनार के अंदर भगदड़ मच गई और लोग उससे बाहर निकलने की कोशिश करने लगे। लोग एक दूसरे पर चढ़कर कुतुब मीनार से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे और जब यह भगदड़ शांत हुआ तब वहां का दृश्य काफी भयावह था, जी हां उस वक्त वहां काफी लोग घायल पड़े थे साथ ही कई लोगों की जान भी चली गई थी। इस भगदड़ में करीबन 45 लोग मारे गए, जिसके बाद से ही इस मीनार के दरवाज़े को बंद कर दिया गया।