दुनिया के हर कोने में पार्टियों और शादियों में ज्यादातर लोग वाइन पीना पसंद करते हैं और आपने कई लोगों को वाइन पीते हुए देखा भी होगा। इसका चलन सिर्फ विदेशों में ही नहीं बल्कि भारत में भी अत्यधिक मात्रा में है। पहले के समय में भारत में वाइन का इतना चलन नहीं था तब यहां के लोग फ्रांस, इटली जैसे अन्य देशों से वाइन मंगवाते थे। लेकिन अब समय बदल चुका है क्योंकि आज के वक्त भारतीय वाइन दुनिया भर में मशहूर है। आज हम आपको भारत के उसे शहर से रूबरू करवाएंगे जहां पर सबसे ज्यादा वाइन बनाई जाती है।
वाइन की राजधानी नासिक
महाराष्ट्र के नासिक शहर में वाइन का प्रचलन पूरे देश के मुकाबले सबसे ज्यादा है। पिछले दशकों को देखा जाए तो आज नासिक को ‘वाइन की राजधानी’ भी कहते हैं । और महाराष्ट्र के नासिक शहर में ही भारत की सबसे ज्यादा वाइन बनती है जिसे पुरे दुनिया भर में बेचा जाता है। भारत में जितने भी वाइन कंपनी है उसका अत्यधिक हिस्सा नासिक शहर में ही है। इस शहर के अंदर 52 वाइनरी है जिसे चलाने के लिए 8000 एकड़ जमीनों पर अंगूर की खेती की जाती है। नासिक में अंगूर की खेती सबसे बड़े पैमाने पर होती है और इसीलिए यहां पर वाइन बनाने के लिए आसानी से अंगूर भी उपलब्ध हो जाता है। यहां पर अंगूर की खेती खासतौर पर इसलिए भी करी जाती है क्योंकि इसकी मिट्टी एक अलग किस्म की है नासिक की मिट्टी में रेड लेटराइट पाया जाता है यहां सिर्फ मिट्टी ही अच्छी नहीं है बल्कि खेती करने के लिए पानी का सिस्टम भी काफी मात्रा में है।
ऐसे भारत में शुरू हुआ वाइन का प्रचलन
वाइन की कहानी इतिहास के पन्नों में आपको 1990 के दशक की ओर ले जाती है। जहां सुला वाइनयार्ड के मलिक राजीव सुरेश सामंत कैलिफोर्निया से भारत पहुंचे थे तब उन्होंने देखा कि यहां के स्थानीय लोगों के बीच वाइन जैसे अन्य तरल पदार्थों की काफी कमी है। उसके बाद उन्होंने 1999 में नासिक के अंदर पहली वायनरी सुला वाइनयार्ड कंपनी खोली। वो कैलिफोर्निया में मौजूद वाइन कंपनी से काफी अच्छी तरह अवगत थे और अनुभवी भी थे और यही कारण है कि उन्होंने कुछ दशकों के अंदर ही नासिक को वाइन की राजधानी बना दी।
CONTENT: NIKITA MISHRA