वो गांव जहां मुस्लिम भी बोलते हैं संस्कृत, बच्चों के पास है वेदों का ज्ञान

भारत में  वैसे तो सिर्फ 22 भाषाओं को ही आधिकारिक मान्यता दी गई है, लेकिन यहां पर करीब ऐसे 10,000 भाषाएं हैं जिसे स्थानीय क्षेत्रों में बोला जाता हैं।

भारत दुनिया का एक मात्र ऐसा देश है जहां भाषाओं की एक लंबी और बड़ी लिस्ट मौजूद है। इस देश के हर 4 किलोमीटर की दूरी पर भाषा का बदलाव हो जाता है। भारत में  वैसे तो सिर्फ 22 भाषाओं को ही आधिकारिक मान्यता दी गई है, लेकिन यहां पर करीब ऐसे 10,000 भाषाएं हैं जिसे स्थानीय क्षेत्रों में बोला जाता हैं। भारत की कोई भी राष्ट्र भाषा नहीं है, यहां हर क्षेत्र में एक अलग भाषा बोली जाती है लेकिन यहां कई ऐसे जगहें मौजूद हैं जहां ज्यादातर हिंदी और अंग्रेजी में ही बात की जाती है। हमारी दुनिया में संस्कृत भाषा को सबसे प्राचीन भाषा माना गया है।  आपको बता दें कि 5 हज़ार साल पहले से संस्कृत भाषा को दुनिया जानती है। लेकिन अब ऐसा हो रहा है की संस्कृत भाषा का महत्व धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। आजकल हम संस्कृत को सिर्फ पूजन और अपने स्कूली विषयों में ही पढ़ते और सुनते हैं, पर अब ऐसा बिलकुल नहीं है जहां लोग आपस में सिर्फ संस्कृत में बात करते हो। लेकिन आपको सुनकर हैरानी होगी की भारत में ही एक ऐसा गांव मौजूद है जहां बच्चे से लेकर बूढ़े और हर धर्म के व्यक्ति संस्कृत भाषा बोलते हैं। जी हां आपने सही सुना।

गांव जहां सब संस्कृत बोलते हैं

सभी भाषाओं का अस्तित्व संस्कृत भाषा से जुड़ा हुआ है। कहा तो ये भी जाता है की हिंदी भी संस्कृत भाषा से ही उत्पन्न हुई। लेकिन आज हमारे देश में ही हिंदी भाषा को त्यागा जा रहा है। हिंदी हमारी राजभाषा है और आज हम अपने आप को पूर्ण दिखाने के लिए विदेशी भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं। जिस गांव के बारे में हम आपको आज बताएंगे वहां के 10 साल के बच्चे भी वेदों का ज्ञान रखते हैं। यूं कहें तो हम आपको प्राचीन भारत की एक छवि दिखाने वाले हैं ।

कर्नाटक में मौजूद है वो गांव

हम बात कर रहे हैं कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से करीबन 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव  मैत्तूर की, जहां बच्चे से लेकर बूढ़े और सभी धर्म जाति के लोग अपनी आम बोलचाल की भाषा में संस्कृत का इस्तेमाल करते हैं। यहां के 10 साल के बच्चों के पास वो ज्ञान है को आज शायद ही इस मॉडर्न ज़माने में किसी के पास होगा। यहां के बच्चे संस्कृत को ही अपना जीवन मानते हैं। गांव  के लोगों का  कहना है की 600 वर्ष पहले जब केरल से संकेथी ब्राह्मण जब इस गांव रहने के लिए पधारे थे तब से ही इस गांव में संस्कृत भाषा बोली जाने लगी।  लेकिन कुछ सालों बाद में ही यहां मौजूद कई लोग कन्नड़ भाषा बोलने लगे।   पर 35 से 40 साल पहले पेजावर मठ के स्वामी ने मैत्तूर गांव को संस्कृत भाषी गांव बनाने की ठान ली। जिसके बाद से ही इस गांव के लोगों ने संस्कृत बोलना शुरू कर दिया । जहां गांव के लोगों ने  सिर्फ 10 दिन और 2 घंटे के अभ्यास में ही संस्कृत भाषा सीख ली।बता दें कि इस गांव के मुस्लिम लोग भी संस्कृत में ही बात करते हैं ।

CONTENT: NIKITA MISHRA

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