रामेश्वर मंदिर, भारत का सबसे एतिहासिक और मान्यताओं वाला मंदिर जिसका इतिहास काफी दिलचस्पी से भरा है। रामेश्वर मंदिर का सीधा संबध रामायण से है। इस मंदिर के बारे में विदेशों में भी काफी चर्ची की जाती है। कहते हैं जो भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर श्रद्धा दिखाता है भगवान शिव उनकी मनोकामनाओं को ज़रुर पूरा करते हैं। इस मंदिर के बारे में जितना जानें वो उतना कम है। यदि आप भी रामेंश्वरम जाने की तैयारी कर रहें हैं तो आपको इस मंदिर के इतिहास के बारे में अवश्य जान लेना चाहिए।
दुनिया के सबसे अधिक मंदिर हैं भारत में
भारत दुनिया का ऐसा देश है जहां लोगों के मन में धार्मिक भावनाओं का अस्तित्व छुपा हुआ है। यहां मंदिरों के निर्माण से लेकर भगवान की आराधना तक के हर कार्य भक्तों की आस्थाओं के साथ ही पूरे हो जाते हैं। फिर चाहे बात राम मंदिर के निर्माण की हो या देश में धार्मिक पूजन रखने की हो। दुनिया में सबसे ज़्यादा मंदिर यदि कहीं हैं तो वो सिर्फ भारत में ही हैं। और भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जिनकी स्थापना स्वयं भगवान ने ही की थी । आज हम आपको उसी मंदिर के बारें में बताएँगे जिसकी स्थापना स्वयं भगवान श्री राम ने की थी। इतना ही नहीं बल्कि इस मंदिर में पहली बार पूजा भी भगवान राम के हाथो ही हुई । किया गया था।
ऐसे हुई रामेश्वरम की स्थापना
ये बात है त्रेता युग की, जब भगवान राम रावण को उसके बुरे कर्मों की सज़ा देने जा रहे थे।तब लंका की ओर जाते वक़्त भगवान राम ने स्वयं अपने हाथो से समुद्र के अवशेषों से शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा अर्चना की थी। पौराणिक कथाओं की माने तो लंका जाने से पहले भगवान राम समुद्र से जल ग्रहण कर रहे थे और जल ग्रहण करते समय वहाँ एक आकाशवाणी की गयी थी जिसमें प्रभु श्री राम से ये सवाल किया गया की आप मुझसे आज्ञा लिए बगैर ही जल ग्रहण कर रहे हो तब प्रभु राम ने समुद्र के बालू से शिवलिंग बनाई थी। जिसे आज रामेश्वरम मंदिर के नाम से जाना जाता है। भगवान राम के इस पूजा अर्चना को देख महादेव अत्यधिक प्रसन्न हुए थे उसी दौरान भगवान राम ने महादेव से ये वरदान माँगा की वो उनके परमभक्त रावण से इस युद्ध में जीत जाएं।
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